क्या अगले 10-20 वर्षों में Kurukh Language केवल इतिहास के पन्नों में दिखाई देगा ?

क्या अगले 10-20 वर्षों में Kurukh bhasha केवल इतिहास के पन्नों में दिखाई देगा ?

कुँड़ुख, मुंडारी, संथाली, खड़िया और हो; ये पाँच जनजातिय भाषाएँ आपस में भाई और बहनों के समान हैं, क्योंकि उपरोक्त 5 भाषाओं को बोलने वाले सैंकड़ों वर्षों से एक साथ रहते आए हैं। हाँलाकि इन भाषाओं की उत्पति और मूल अलग-अलग बतायी जाती है। Kurukh Language का मूल द्रविड़ भाषा परिवार है जिसमें तमिल और मलयालम जैसे समृद्ध भाषा भी आते हैं। द्रविड़ भाषा का संबंध हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की सभ्यता से है जो सिंधु घाटी सभ्यता भी कहलाती है। इससे स्पष्ट है कि उराँव समुदाय की भाषा भी एक समृद्धिशाली भाषा रही है। आधुनिक समय में ऊपर में वर्णित 5 जनजातिय भाषाओं में कुँड़ुख भाषा की स्थिति सबसे दयनीय है क्योंकि उराँव समुदाय के लोग अपनी मातृभाषा kurukh को लगातार तिलांजलि देते हुए अपनी बोलचाल की भाषा में सादरी और हिन्दी को प्राथमिकता दे रहे हैं।

Kurukh Language

थोड़ा बहुत जो kurukh बोलते हैं उनमें से अधिकतर लोग 50 वर्ष का उम्र पार कर चुके हैं, या सुदूर देहातों में रहते हैं। परंतु शहरी क्षेत्र हो या ग्रामीण अंचल कुँड़ुख बोलने वालों की संख्या बेतहाशा घटती जा रही है। यह कुँड़ुख भाषा के लिए एक खतरे का संकेत है, और यह विलुप्ति की ओर बढ़ रही है।

नाइजीरिया में "अजावा" एक भाषा थी, और 1920 से 1940 के बीच केवल 2 दशक में विलुप्त हो गयी थी; क्योंकि उस भाषा का उपयोग करने वाले लोग आर्थिक और प्रायोगिक कारणों से "हौवसा" भाषा बोलना शुरू कर दिये थे।

Kurukh bhasha का उपयोग करने या बोलने में उराँव समुदाय के लोगों में रूचि दिखाई नहीं देती। यहाँ तक की वे लोग आपसी बातचीत के दौरान भी हिन्दी अथवा सादरी भाषा का इस्तेमाल करते हैं। कुँड़ुख नहीं बोलने या नहीं जानने का उन्हें कोई मलाल नहीं।

क्या अगले 10-20 वर्षों में कुँड़ुख़ केवल इतिहास के पन्नों में दिखाई देगी? अगर ऐसा हो गया तो आप उस भाषा के प्रति क्या महसूस करेंगे? क्या आप को ऐसा महसूस होगा कि आप ने पूर्वजों के द्वारा हस्तांतरित एक बहुत महत्वपूर्ण चीज को खो दिया है ।

Kurukh Language को बेहतर बनाने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं :- 

1. शिक्षा में समावेशः

स्कूलों में कुडुख भाषा की पढ़ाई को अनिवार्य करना। कुडुख भाषा में पाठ्यपुस्तकों और शैक्षिक सामग्री का विकास और वितरण। कुडुख भाषा में शिक्षकों को प्रशिक्षित करना।

2. भाषा संरक्षणः

Kurukh bhasha के साहित्य, लोकगीत, कहानियाँ और पारंपरिक ज्ञान को दस्तावेज़ बनाना और संरक्षित करना। Kurukh bhasha के डिजिटल संग्रहालय और पुस्तकालय स्थापित करना।

3. डिजीटल प्लेटफॉर्म्स

मीडिया और तकनीक का उपयोगः Kurukh bhasha में रेडियो, टीवी कार्यक्रम और ऑनलाइन सामग्री का प्रसारण। कुडुख भाषा में मोबाइल ऐप्स, वेबसाइट्स और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का विकास।

4. समुदाय की भागीदारीः

समुदाय में Kurukh bhasha के प्रति जागरूकता फैलाना और इसके महत्व को समझाना। कुडुख भाषा में सांस्कृतिक कार्यक्रम, कार्यशालाओं और सेमिनारों का आयोजन।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ